आस्था, परंपरा और भक्ति का पावन स्थल
मंदिर की स्थापना लगभग 400 वर्ष पूर्व हुई। जगन्नाथ नामक श्रद्धालु ने यहाँ पूजा प्रारंभ की और उन्हीं के नाम पर गाँव का नाम जगन्नाथपुर पड़ा।
भक्त मानते हैं कि यहाँ मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। माँ काली से जुड़े चमत्कार और रक्षण की अनेक कथाएँ यहाँ प्रचलित हैं।
काली माई स्थान गाँव की कुल देवी हैं। यह केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का केंद्र भी है।
मंदिर का पुनर्निर्माण 2021 में हुआ। वर्तमान में मंदिर और भी भव्य रूप में है और ग्राम समाज द्वारा संचालित है।
मंदिर केवल पूजा स्थल ही नहीं बल्कि सामाजिक सेवा का केंद्र भी है- शिक्षा सहयोग, स्वास्थ्य शिविर और दान कार्य यहाँ नियमित होते हैं।
भक्त बताते हैं कि यहाँ आने के बाद उनकी बड़ी कठिनाइयाँ दूर हुईं। यही अनुभव इस स्थल को और भी चमत्कारिक बनाता है।