🌸 मंदिर का वर्तमान स्वरूप

काली माँ अस्थान मंदिर की स्थापना लगभग 400 वर्ष पूर्व हुई थी। कहा जाता है कि जगन्नाथ नामक व्यक्ति ने यहाँ पूजा-अर्चना प्रारंभ की और उनके नाम पर इस क्षेत्र का नाम "जगन्नाथपुर" पड़ा। तब से यह मंदिर गाँव और आसपास के क्षेत्रों का एक प्रमुख आस्था केंद्र बना हुआ है।

  • 2021 में हुए पुनर्निर्माण और विकास कार्य।
  • वर्तमान सुविधाएँ (जल, प्रकाश, बैठने की व्यवस्था, पार्किंग आदि)।
  • ग्राम समाज द्वारा संचालित सेवा और प्रबंधन।

🌸 लोक कथाएँ और महात्म्य

मंदिर से संबंधित कई लोककथाएँ और दिव्य अनुभव पीढ़ियों से भक्तों के बीच सुनाए जाते हैं। इसे ग्राम की कुलदेवी का स्वरूप माना जाता है और श्रद्धालु विश्वास करते हैं कि यहाँ उनकी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। माँ काली की प्रतिमा इस स्थल पर विशेष शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक है।

निकटवर्ती स्थान

काली माई स्थान मंदिर से और स्थानों की दूरी.

श्री मनकामेश्वर महादेव मंदिर

मंदिर परिसर में मनकामेश्वर शिव के अलावा सिद्धेश्वर और ऋणमुक्तेश्वर महादेव के शिवलिंग भी विराजमान हैं। रुद्रावतार कहे जाने वाले बजरंगबली की दक्षिणमुखी मूर्ति भी यहां पर है। भैरव, यक्ष और किन्नर भी यहां पर विराजमान हैं। धार्मिक मान्यता है कि जहां पर शिव विराजमान होते हैं वहां पर माता पार्वती का भी वास होता है। ऐसे में यहां पर दोनों के दर्शन का लाभ श्रद्धालुओं को प्राप्त होता है।

दूरी: 205km

गूगल मानचित्र पर देखें

अलोपी शंकरी देवी शक्ति पीठ मंदिर

भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज के अलोपीबाग क्षेत्र में स्थित एक मंदिर है। यह पवित्र संगम के निकट है, जहाँ गंगा, यमुना और पौराणिक सरस्वती नदियाँ मिलती हैं। कुम्भ मेला इस स्थान के निकट ही है। कुछ ऐतिहासिक साक्ष्यों के अनुसार, मराठा योद्धा श्रीनाथ महादजी शिंदे ने वर्ष 1771-1772 में अपने प्रयागराज प्रवास के दौरान संगम स्थल का विकास किया था। कालान्तर में 1800 के दशक में महारानी बैजाबाई सिंधिया ने प्रयागराज में संगम घाटों और मंदिरों के नवीनीकरण के लिए कुछ कार्य किए।

दूरी: 203 km

गूगल मानचित्र पर देखें

श्री हनुमान गढ़ी मंदिर

अयोध्या के मध्य में स्थित, 76 सीढ़ियाँ हनुमानगढ़ी तक जाती हैं जो उत्तर भारत में हनुमान जी के सबसे लोकप्रिय मंदिर परिसरों में से एक हैं। यह एक प्रथा है कि राम मंदिर जाने से पहले सबसे पहले भगवान हनुमान मंदिर के दर्शन करने चाहिए।मंदिर में हनुमान की मां अंजनी रहती हैं, जिसमें युवा हनुमान जी उनकी गोद में बैठे हैं।यह मंदिर रामानंदी संप्रदाय के बैरागी महंतों और निर्वाणी अनी अखाड़े के अधीन है।

दूरी: 36.6 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

श्री पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर

यह प्राचीन मंदिर भक्ति और दिव्यता का अद्भुत प्रतीक है, जो एशिया के सबसे विशाल शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है। लोककथा के अनुसार, इसका निर्माण महाबली भीम ने द्वापर युग में अपने वनवास के दौरान किया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित यह विशाल शिवलिंग अद्भुत शक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। श्रद्धालु यहाँ शांति, आशीर्वाद और जीवन की पीड़ाओं से मुक्ति की कामना लेकर आते हैं। इस मंदिर की मूल भावना है — दुखों का निवारण, बाधाओं का अंत और आत्मा का परमात्मा से मिलन। यहाँ की यात्रा केवल पूजा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव है — जो भक्त को भगवान शिव की अनंत शक्ति से जोड़ देता है।

दूरी: 68.6 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

गोरखनाथ मठ – अध्यात्म और ऊर्जा का पवित्र केंद्र

गोरखनाथ मठ, जिसे श्री गोरखनाथ मंदिर भी कहा जाता है, केवल एक मंदिर नहीं बल्कि अध्यात्म, अनुशासन और भक्ति का जीवंत प्रतीक है। नाथ परंपरा से जुड़ा यह पवित्र स्थल गुरु गोरखनाथ जी की साधना, ज्ञान और शक्ति का साक्षात केंद्र है। मंदिर की प्रत्येक ध्वनि आत्मा को शुद्ध करती है और भीतर छिपी ऊर्जा को जागृत करती है। देश के कोने-कोने से श्रद्धालु यहाँ आते हैं — शांति, प्रेरणा और आशीर्वाद की तलाश में। ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से यहाँ आता है, वह कभी खाली हाथ नहीं लौटता। यह मठ केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है — जहाँ श्रद्धा कर्म में बदलती है और अध्यात्म जीवन का हिस्सा बन जाता है। गोरखनाथ मठ की यात्रा आत्मा के जागरण की यात्रा है।

दूरी: 120 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

देवी पाटन मन्दिर , तुलसीपुर

देवी पाटन मंदिर उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद के तुलसीपुर में स्थित एक अत्यंत प्रसिद्ध एवं ऐतिहासिक मंदिर है, जो जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर मां पाटेश्वरी को समर्पित है और "देवी पाटन" के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्ति पीठों में से एक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान शिव माता सती के शरीर को लेकर तांडव कर रहे थे, तब भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उनके शरीर के अंगों को अलग-अलग स्थानों पर गिराया। इसी क्रम में माता सती का दाहिना कंधा (पाटन) इस स्थान पर गिरा था, जिसके कारण इसे "देवी पाटन" शक्ति पीठ कहा जाता है। देवी पाटन मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की आस्था, संस्कृति और अध्यात्म का प्रमुख केंद्र भी है। प्रत्येक वर्ष यहाँ श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या दर्शन एवं पूजा-अर्चना के लिए आती है।

दूरी: 81.9 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

श्री स्वामीनारायण मंदिर छपैया

स्वामीनारायण का जन्म 1781 में भारत के उत्तर प्रदेश के चपैया में घनश्याम पांडे के रूप में हुआ था। 1792 में, उन्होंने 11 साल की उम्र में नीलकंठ वर्णी नाम अपनाकर पूरे भारत में सात साल की तीर्थयात्रा शुरू की।

दूरी: 11.5 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

करोहानाथ मंदिर

क्या है पौराणिक मान्यता बाबा करोहा नाथ मंदिर के पुजारी राजेंद्र गिरि बताते हैं कि मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। इसकी पहचान बौद्ध साहित्य मझिम निकाय के स्थविनीत सुख में वर्णित तोरण वास्तु से की जाती है| जिसकी स्थिति श्रावस्ती से साकेत जाने वाले मार्ग के चौथे पड़ाव के रूप में थी। यहां भगवान बुद्ध ने धर्म उपदेश दिया था। संयुक्त निकाय के थेरी गाथा सुत के अनुसार राजा बिंबिसार की रानी खेमा या क्षेमा ने भी यहां विहार किया था।

दूरी: 16.1 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

अयोध्या -श्री राम जन्मभूमि मंदिर

अयोध्या भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश में सरयू नदी के तट पर स्थित एक शहर है। यह अयोध्या जिले और उत्तर प्रदेश के अयोध्या मंडल का प्रशासनिक मुख्यालय भी है।

दूरी: 36.8 KM

गूगल मानचित्र पर देखें

आगामी आयोजन/त्योहार

हमारे मंदिर के नवीनतम आयोजनों और कार्यक्रमों की जानकारी प्राप्त करें